सभ्यता और संस्कृति के बीच अंतर
- सिंधु घाटी की सभ्यता पर चर्चा करने से पहले सर्वप्रथम हम यह चर्चा करते हैं कि आखिर सभ्यता और संस्कृति के बीच अंतर क्या होता है सभ्यता मानव के विकास को प्रदर्शित करता है जबकि संस्कृति मानव जीवन का अभिन्न अंग है मानव अपने जीवन काल में जिन जिन चीजों को अभिन्न अंग बना दिया चाहे वह रीति रिवाज हो या धार्मिक विचारधारा वह संस्कृति है।
इतिहास के प्राचीनतम सभ्यताएँ
- इतिहास में हम चार सभ्यताओं को पढ़ते हैं जिसमें मेसोपोटामिया की सभ्यता सबसे प्राचीनतम मानी जाती है।
- किसी भी सभ्यता के लिए नदी अहम भूमिका निभाती है क्योंकि नदी के किनारे की मिट्टी अत्यधिक उपजाऊँ होती है नदी के माध्यम से परिवहन के साधन भी विकसित होते हैं नदी के किनारे बसने से जल की समस्या भी नहीं रहती है अतः अभी तक चार सभ्यताएं जो खोजी गई वह किसी न किसी नदी के किनारे विकसित हुई थी।
- विश्व की सबसे पुरानी सभ्यता मेसोपोटामिया की सभ्यता दजला और फरात नदी के किनारे बसी थी।
- हरियाणा के कर्नाल से कुछ मृदभांड मिले हैं जो 6000 से 7000 वर्ष पुराना है यदि इस को आधिकारिक रूप से प्रमाणित कर दिया जाता है तो भारत की सिंधु घाटी सभ्यता विश्व में सबसे पुरानी सभ्यता बन जाएगी अभी इसको आधिकारिक रूप से प्रमाणित किया जाना बाकी है।
- मिस्र की सभ्यता नील नदी के किनारे बसी सभ्यता थी।
- सिंधु घाटी की सभ्यता सिंधु नदी के किनारे बसी सभ्यता थी ।
- चीन की सभ्यता ह्वांग्हो (ह्वांगहो) नदी के किनारे बसी सभ्यता ह्वांग्हो (ह्वांगहो) नदी को पीली नदी के नाम से भी जाना जाता है।
सिंधु घाटी की सभ्यता की लिपि
- सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि भावचित्रात्मक लिपि थी जो दाएं से बाएं लिखी गई है और एक लाइन पूरा होने के बाद दूसरी लाइन बाएं से दाएं लिखी गई है। इस लिपि को गोमूत्री लिपि या ब्रूस्टोफेदन या ब्रिस्टोंफेडन कहा गया है। इस लिपि के आकार के आधार पर इसको सर्पिलाकार लिपि की भी संज्ञा दिया गया है।
- सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि को अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है।
- हड़प्पा लिपि में सर्वाधिक अक्षर उल्टे यू के आकार के हैं।
सिंधु घाटी की सभ्यता की लिपि के साक्ष्य
- धौलावीरा के सूचना पट्ट से सिंधु घाटी सभ्यता के लिपि के साक्ष्य मिलते हैं जिसमें सिंधु घाटी के लिपि के 17 अक्षर उत्कीर्ण है।
- सिंधु घाटी की लिपि के साक्ष्य सिंधु घाटी के मोहरों से भी मिले हैं।
- इस लिपि के साक्ष्य हड़प्पा के कब्रिस्तान H से मिले हैं।
सिंधु सभ्यता का विस्तार :
- सिंधु घाटी सभ्यता तीन देशों में भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में फैला हुआ है ।
- सिंधु घाटी सभ्यता के सर्वाधिक स्थल भारत से मिले हैं और सबसे कम स्थल अफगानिस्तान से मिले हैं।
- भारत में सिंधु घाटी सभ्यता का सर्वाधिक स्थल गुजरात राज्य से मिला है।
- स्वतंत्रता के बाद सिंधु घाटी सभ्यता के सर्वाधिक स्थल भारत के गुजरात राज्य से ही खोजे गए।
मांडा
- भारत में सिंधु घाटी सभ्यता के सबसे उत्तर में स्थित पुरास्थल है।
- मांडा जम्मू कश्मीर के अखनूर जिले में चेनाब नदी के किनारे पर स्थित है।
- सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे उत्तरत्तम बिंदु अफगानिस्तान का शोर्तुघई और मुंडिगक है।
दैमाबाद
- यह सबसे दक्षिण में स्थित पुरास्थल है।
- महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित है।
- गोदावरी नदी की सहायक नदी प्रवरा नदी के किनारे स्थित है।
लमगीरपुर
- उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में स्थित है।
- हिंडन नदी के किनारे सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे दक्षिण में स्थित पुरास्थल है।
सूटकांगेडोर
- यह पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बॉर्डर पर स्थित पुरास्थल है।
- यह दाश्क नदी के किनारे सिंधु घाटी सभ्यता के सबसे दक्षिण में स्थित पुरास्थल है।
सिंधु घाटी सभ्यता का क्षेत्रफल :
- सिंधु घाटी सभ्यता का विस्तार उत्तर से दक्षिण की ओर 1400 किलोमीटर का है
- सिंधु घाटी सभ्यता का विस्तार पूर्व से पश्चिम की ओर 1600 किलोमीटर का है।
- सिंधु सभ्यता का संपूर्ण क्षेत्रफल 1299600 वर्ग किलोमीटर का है लेकिन लगातार सिंधु घाटी सभ्यता में हो रहे खोज के कारण वर्तमान में इसका क्षेत्रफल 16 से 17 लाख वर्ग किलोमीटर हो गया है।
- सिंधु घाटी सभ्यता त्रिभुजाकार में फैला हुआ था लेकिन यह ध्यान रहे कि लगातार सिंधु घाटी सभ्यता में नए स्थलों की खोज किया जा रहा है जिसके कारण सिंधु घाटी सभ्यता का आकार भी बदल गया है वर्तमान में इसका आकार समचतुर्भुजाकार का हो गया हैं।
सिंधु घाटी सभ्यता की प्रजातियां
सिंधु घाटी सभ्यता में चार प्रकार के प्रजातियों के साक्ष्य मिले हैं।
- प्रोटोऑस्ट्रेलियाई
- भूमध्यसागरीय (द्रविड़)
- अल्पाइन
- मंगोलियन
- सिंधु घाटी सभ्यता में भूमध्यसागरीय लोग अत्यधिक निवास करने के कारण भूमध्यसागरीय लोगों को सिंधु घाटी सभ्यता का निर्माता माना जाता है।
सिंधु घाटी सभ्यता का उद्भव
- सर्वप्रथम 1826 ई. में चार्ल्स मैसेन ने भारत में एक प्राचीनतम नगर हड़प्पा की बात कही।
- 1851-53 ई. में अलेक्जेंडर कनिंघम ने हड़प्पा के टीलों का सर्वेक्षण किया एवं 1856 ई. में हड़प्पा का मानचित्र जारी करने वाला पहला व्यक्ति बना।
- 1856 ई. में कराची से लाहौर के बीच रेलवे ट्रैक लगाने का कार्य जॉन बर्टन एवं विलियम बर्टन को सौंपा गया इन्हीं बर्टन बंधुओं के आदेश से हड़प्पा के एक टीले से सर्वप्रथम ईंटे निकाली गईं।
- 1899-1905 ई. में वायसराय लॉर्ड कर्जन के समय भारत के ऐतिहासिक स्थलों को खोजने एवं संरक्षित रखने के लिए जॉन मार्शल के निर्देशन में भारतीय पुरातत्व एवं सर्वेक्षण विभाग का गठन किया गया।
- जॉन मार्शल के निर्देशन में 1921 ई. में राय बहादुर दयाराम सहानी ने हड़प्पा नगर की खोज की।
- इस सभ्यता का सर्वप्रथम साक्ष्य सिंधु नदी के आस-पास के क्षेत्र में पाया गया इसलिए सर्वप्रथम जॉन मार्शल ने इस सभ्यता का नाम सिंधु सभ्यता रखा।
- 1932 ईस्वी में द लंदन वीकली साप्ताहिक समाचार पत्र में सिंधु सभ्यता का नाम प्रकाशित किया गया।
- भारतीय इतिहासकार रफीक मुगल के द्वारा इस सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता नाम दिया।
- इस सभ्यता का प्रथम उत्खननित क्षेत्र हड़प्पा था इसलिए इस सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता कहा गया और वर्तमान में सर्वाधिक प्रचलित नाम भी हड़प्पा सभ्यता ही है।
सिंधु घाटी सभ्यता का कालक्रम
- सिंधु सभ्यता के कालक्रम के संबंध में इतिहासकारों में मतभेद है अलग-अलग इतिहासकारों ने इस सभ्यता के समय को अलग-अलग बताया है।
- जॉन मार्शल : 3250 ई. पू 2750 ई.पू
- रेडियो कार्बन पद्धति C-14 : 1350 ई.पू. से 1750 ई.पू. तक (सबसे प्रमाणित मत)
- NCERT के अनुसार : 2500 ईसा पूर्व से 1800 ईसा पूर्व तक।
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