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द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद कैसी स्थितियां उत्पन्न हुई इसकी चर्चा पहले भी कर चुके हैं जिसे आप UNO के पोस्ट में पढ़ सकते हैं द्वितीय विश्वयुद्ध और प्रथम विश्वयुद्ध को भी अवश्य पढ़ें जिससे आपका कॉन्सेप्ट अच्छे से क्लियर होगा।

यहां हम IMF (अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष) पर चर्चा करेंगे

IMF के पीछे की पृष्ठभूमि :

  • द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद आर्थिक मार झेल रहे देशों ने आयात को कम करने के लिए कई प्रकार के प्रतिबंध लगाने लगे और अपनी मुद्राओं का लगातार अवमूल्यन (अपने मुद्रा की वैल्यू को कम करना) करने लगे ऐसा इसलिए कर रहे थे कि यह देश आयात को कम कर के निर्यात बढ़ाना चाहते थे। कई देशों के बीच मुद्रा की अवमूल्यन करने की होड़ लग गयी।
  • किसी प्रकार का कोई कंट्रोल नहीं था जो आयात पर लग रहे प्रतिबंध मुद्रा का हो रहे अमूल्यम पर रोक लगा सके इस प्रकार विश्व में काफी अफरातफरी मच गई।
  • सभी देशों ने यूनाइटेड किंगडम की एक शहर न्यू हेंपशायर में ब्रेटन वुड्स सम्मेलन का आयोजन किया।
  • इस सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया की एक ऐसी संस्था होने चाहिए जो पूरे विश्व के देशों के मौद्रिक नीति को कंट्रोल कर सके।
  • यहां से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष IMF और विश्व बैंक नामक (WORD BANK) दो संस्थाओं का जन्म होता है।
  • इसी कारण विश्व बैंक (WORDL BANK) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) दोनों को सम्मिलित रूप से ब्रेटन वुड्स सम्मेलन की जुड़वा कहा जाता है।

अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना :

  • IMF की स्थापना के लिए विश्व के सभी देशों के केंद्रीय बैंकों के गवर्नर उपस्थित हुए भारत के तरफ से RBI के प्रथम गवर्नर सी.डी. देशमुख जी गए थे अर्थात भारत IMF का संस्थापक सदस्य (Founder member) है।
  • IMF को केंद्रीय बैंकों का बैंक भी कहा जाता है क्योंकि जिस प्रकार सभी देश का केंद्रीय बैंक कार्यकर्ता है उसी प्रकार IMF विश्व में कार्य करता है।
  • वर्त्तमान में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में कुल 190 सदस्य देश हैं।
  • अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का 190 वां सदस्य एंडोरा को बनाया गया।

IMF के कार्य :

  • यदि किसी देश का भुगतान संतुलन खराब हो गया है या दिवालिया होने के कगार पर आ गया है तो IMF उसकी मदद करता है।
  • किसी देश को आयात पर प्रतिबंध लगाने से संबंधित कार्य IMF करता है।
  • सदस्य देशों को मुद्रा अवमूल्यन की स्वीकृति देता है।

IMF के उद्देश्य :

  • विनिमय विदेशी दर की स्थिरता को बनाना
  • प्रतिबंध को समाप्त करके और विनिमय दर को स्थिर करके विश्व व्यापार को बढ़ावा देना।
  • फॉरेन एक्सचेंज के नियंत्रण को समाप्त करना।

IMF से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य :

  • IMF के लिए 1945 में प्रस्ताव लाया गया और 1946 में इसकी स्थापना किया गया।
  • IMF का मुख्यालय वाशिंगटन डीसी में स्थित है।
  • वर्तमान में IMF की  प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा हैं।
  • जनवरी 2023 के आंकड़े के अनुसार IMF का कुल कोटा 475604.5 मिलीयन डॉलर का है।
  • IMF के सदस्य देशों से एक कार्यकारी सदस्य भेजा जाता है। वर्तमान (फरवरी 2023) में भारत के तरफ से कार्यकारी सदस्य के.वी. सुब्रह्मण्यम जी हैं।

IMF में कोटा :

  • IMF के संचालन के लिए इसके सदस्यों द्वारा फंड दिया जाता है जिसे कोटा कहते हैं।
  • IMF के कोटा का निर्धारण
  • IMF में जो देश जितना फंड (कोटा) देता है, उसको उतना ही वोटिंग पावर दिया जाता है।
  • IMF में विकसित देशों का कोटा अत्यधिक है।
  • किसी देश में IMF के कोटा का निर्धारण उस देश की राष्ट्रीय आय स्वर्ण रिजर्व विदेशी मुद्रा भंडार और भुगतान संतुलन व्यापार कोष पर निर्भर करता है।
  • 2019 में भारत में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जी ने IMF में अपने कोटे को बढ़ाने की अपील की परंतु संयुक्त राष्ट्र द्वारा इसे नकार दिया गया जिसका जितना कोटा होता है उस देश की वोट की वैल्यू उतना ही अधिक होती है।
  • IMF में किस देश का कितना कोटा और वोटिंग पावर है एक सारणी के माध्यम से समझने की कोशिश करते हैं।
देश कोटा कुल कोटा का %मताधिकार
अमेरिका 82994.217.43%16.50
जापान 30820.56.47%6.14
चीन 30482.96.40%6.08
भारत 13114.52.75%2.63
यूनाइटेड किंग्डम20155.14.23%4.03
यहां पर कुछ देशों के आंकड़ों को प्रदर्शित किया गया है।
  • अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो IMF में सर्वाधिक कोटा अमेरिका का है फिर जापान का तीसरे स्थान पर चीन है।
  • किसी देश को कितना IMF द्वारा मदद मिलेगा इसके निर्धारण में अमेरिका का बहुत बड़ा योगदान है।

IMF के कार्य

विभिन्न देशों के मुद्राओं का विक्रय :
  • यदि किसी देश को किसी अन्य देश की मुद्रा चाहिए तो उस मुद्रा को IMF से खरीद सकता है जैसे यदि भारत को अमेरिका से व्यापार करने के लिए अमेरिका की मुद्रा डालर चाहिए तो भारत IMF से अमेरिका के डॉलर को खरीद सकता है बदले में उतना ही अमाउंट का स्वर्ण IMF को बेचना पड़ेगा।
विनिमय दर की स्थिरता :
  • मुद्रा के अवमूल्यन करने की स्वतंत्रता पर रोक लगाता है क्योंकि यदि मुद्रा के अवमूल्यन से विनिमय की स्थिरता बिगड़ जाती है जिससे मांग और पूर्ति का ग्राफ अनियंत्रित हो जाता है।
  • IMF विनिमय नियंत्रण सिर्फ दुर्लभ मुद्राओं के लिए आजादी देता है।
  • किसी देश की मुद्रा इतनी कम हो जाए जिससे वह व्यापार न कर पाए और मुद्रा अपने विश्वास को होने के कगार पर हो जाए तो ऐसी मुद्रा को दुर्लभ मुद्रा कहा जाता है।
IMF किसी देश की भुगतान संतुलन को ठीक करने में सहायता करता है।

सामान्य सुविधा | IMF रिज़र्व ट्रेन्च :

  • यदि किसी देश की अर्थव्यवस्था काफी बिगड़ गई हो तो IMF उस देश को ट्रेन्च देता है  IMF के सदस्यों को यह सुविधा स्वतः ही प्राप्त हो जाती है इसी को सामान्य सुविधा कहते हैं।
  • ट्रेन्च दो प्रकार के होते हैं
  1. नकद या आरक्षी ट्रेन्च
  2. साख ट्रेन्च
नकद आरक्षी ट्रेन्च :
  • नकद आरक्षी ट्रेन्च में IMF में दिए गए योगदान के बराबर तरलता की प्राप्ति होती है जो एक बार में नहीं होती इससे अधिक की आवश्यकता होने पर उस देश को दिया गया तरलता साख ट्रेन्च कहलाता है।
  • ट्रेन्च में दिया गया तरलता (धन) तीन प्रकार के होते हैं
स्वर्ण ट्रेन्च :
  • यह किसी सदस्य देश के कोटे का 25% दिया जाता है।
सुरक्षित ट्रेन्च :
  • यह किसी सदस्य देश के कोटे का 100% दिया जाता है।
साख ट्रेन्च :
  • किसी सदस्य देश के कोटा (IMF में दिया गया योगदान) का 100% के बाद जो तरलता (धन) दिया जाता है उसे साख ट्रेन्च कहते हैं यह किस देश के कोटे का 200% तक दिया जा सकता है।

यदि किसी देश को साख ट्रेन्च  के बाद भी आवश्यकता होती है तो IMF चार प्रकार की पॉलिसी के माध्यम से उस देश की मदद करता है।

बफर स्टॉक :

  • उस देश मे बफर स्टॉक बनाने के लिए IMF  द्वारा दिया गया धन या शाख

गरीबी निवारण सुविधा :

  • किस देश के 200% से अधिक साख मांगने पर IMF गरीबी निवारण के लिए उस देश की मदद कर सकता है।

वाह्य आघात सुविधा :

  • यदि किसी दूसरे देश द्वारा आपके अर्थव्यवस्था को हानि पहुंचाई जा रही हो तो इसमें भी IMF मदद करता है।

लोचदार क्रेडिट लाइन :

  • किस देश के भुगतान संतुलन बहुत बिगड़ गया हो तो IMF लोचदार क्रेडिटलाइन के माध्यम से उस देश को साख उपलब्ध करवाता है।

विशेष आहरण अधिकार (SDR)

  • कोई भी देश IMF में कितना पैसा जमा किया है और कितना निकाल सकता है इसी को SDR बोला जाता है इसका कोई भौतिक रूप नहीं होता।
  • इसको स्वर्ण पत्र मुद्रा जारी भी कहा जाता है क्योंकि किसी देश का कितना स्वर्ण IMF में जमा है उसी आधार पर सदस्य देश को साख दिया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष क्या होता है?

यदि किसी देश का भुगतान संतुलन खराब हो गया है या दिवालिया होने के कगार पर आ गया है तो IMF उसकी मदद करता है।
किसी देश को आयात पर प्रतिबंध लगाने से संबंधित कार्य IMF करता है।
सदस्य देशों को मुद्रा अवमूल्यन की स्वीकृति देता है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना कब हुई थी?

जुलाई 1944

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की विशेषता क्या है?

यदि किसी देश का भुगतान संतुलन खराब हो गया है या दिवालिया होने के कगार पर आ गया है तो IMF उसकी मदद करता है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रमुख कौन है?

 क्रिस्टालिना जॉर्जीवा

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष कितने सदस्य है?

190

भारत अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का सदस्य कब बना?

27 दिसंबर, 1945

भारत का अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष कितना है?

529.99 अरब डॉलर

आईएमएफ का 190 वां देश कौन सा है?

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में कुल 190 सदस्य देश हैं।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का 190 वां सदस्य एंडोरा को बनाया गया

अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष का मुख्यालय कहाँ है?

वाशिंगटन डी सी

पाकिस्तान पर कितना कर्ज है?

Rs. 400.279 ट्रिलियन / यूएस $ 222 बिलियन

IMF का फुल फॉर्म क्या होता है ?

International Monitory Fund (अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष)

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