विषयसूची
प्रश्न. इतिहास क्या है ?
उत्तर : बीती हुई ऐसी घटनाओं का क्रमबद्ध अध्ययन जो मानव जीवन को प्रभावित करें इतिहास कहलाता है।
प्रश्न. इतिहास में किन किन घटनाओं को शामिल किया जाता है
उत्तर : इतिहास में ऐसी घटनाओं को शामिल किया जाता है जो मानव जीवन को प्रभावित करें।
इतिहास की परिभाषा :
- इतिहास : इतिहास इति+ह+आस 3 शब्दों से मिलकर बना हुआ है। जिसमें इति का अर्थ इस प्रकार ह का अर्थ वास्तव में आस का अर्थ किसी घटना का घटित होना है अर्थात संपूर्ण इतिहास शब्द की सादिक परिभाषा इस प्रकार के अध्ययन को कहा जाता है जिसमें वास्तव में किसी घटना के घटित होने का उल्लेख मिलता हो।
इतिहास के भाग :
इतिहास को तीन भागों में विभाजित किया गया है।
1. प्रागैतिहासिक काल :
- वह काल जिसका लिखित साक्ष्य मौजूद नहीं मिलता है प्रागैतिहासिक काल कहलाता है।
- इस काल को पाषाण काल भी कहा गया है। इस कॉल का सर्वप्रथम वर्णन करने का श्रेय डॉक्टर प्राइम रोज को दिया जाता है ।
- 1842 ईस्वी में कर्नाटक के रायचूर जिले के लिंगसूगर नामक स्थान से सर्वप्रथम पाषाण कालीन औजार मिले। इन्हें पाषाण कालीन औजारों के बनावट के आधार पर संपूर्ण प्रागैतिहासिक काल को तीन भागों में विभाजित किया गया।
- 1. पुरापाषाण काल 2. मध्य पाषाण काल 3. नवपाषाण काल
- आदि मानव की उत्पत्ति अफ्रीका महाद्वीप में मानी जाती है।
2. आद्य ऐतिहासिक काल :
- वह काल जिसके लिखित साक्ष्य तो मिलते हैं लेकिन अभी तक उसे पढ़ा नहीं जा सका इस कालखंड को आद्य ऐतिहासिक काल कहा गया।
3. ऐतिहासिक काल या इतिहास या आधुनिक काल :
- वह काल जिसके लिखित साक्ष्य मिलते हैं और उसे पढ़ा भी गया है इस कालखंड को ऐतिहासिक काल कहा गया।
इतिहास में साक्ष्य का महत्व एवं प्रकार
- इतिहास में साक्ष्यों का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है साक्ष्य इतिहास के घटनाओं का वर्णन करता है।
- साक्ष्य तीन प्रकार के होते हैं
- पुरातात्विक साक्ष्य
- साहित्यिक साक्ष्य
- विदेशी विवरण
पुरातात्विक साक्ष्य :
- पुरातात्विक साक्ष्य में पहला स्थान अभिलेखों का आता है।
1. अभिलेख :
- अभिलेख : किसी भी कठोर सतह पर उत्कीर्ण लेख अभिलेख कहलाता है।
अभिलेखों के प्रकार :
- 1. शिलालेख : किसी चट्टान का एक हिस्सा पूरा प्लेन और बराबर करवा कर राजा अपने प्रजा के लिए कुछ नीति नियम कानून लिखवाता था जिसे शिलालेख कहा जाता है।
- मौर्य वंश के राजा अशोक महान के द्वारा भारत में सबसे पहले शिलालेख लिखवाने की परंपरा का शुरुआत किया गया।
1. स्तंभ लेख :
- किसी एक ही पत्थर को स्तंभ को प्लेन बनाकर सबसे ऊपर किसी पशु का अंकन करवाया जाता था उसके नीचे एक अधोमुखी कमल का अंकन किया जाता था और पत्थर के पूरे स्तंभ पर राजा अपने विचारों को लिखवाता था इस प्रकार के अनुकृति को स्तंभ लेख कहा गया है क्योंकि यें एक ही शिलाखंड के स्तंभ के ऊपर लिखे गए लेख थे।
- स्तंभ लेख का निर्माण चुनार के पीले पत्थरों से हुआ है, जिसे फलक कहा जाता था स्तंभ लेख पर लिखे अनुकृति के नीचे के हिस्से को यष्टि या लाट कहा जाता था।
2. गुहाभीलेख :
- गुफाओं के प्रवेश द्वार को सपाट करवाकर राजा अपने विचारों को लिखवाता था इस प्रकार की अनुकृति को गुहाभीलेख कहा गया।
3. मृदभांड :
- मिट्टी के बने हुए बर्तनों को मृदभांड कहा गया है।
4. ताम्रपत्राभिलेख :
- तांबे के ऊपर लिखे हुए अभिलेख को ताम्रपत्राभिलेख कहा गया है।
5. प्रशस्ति लेख :
- किसी राजा, वंश या किसी विशेष व्यक्ति के प्रशंसा में जो लिखा जाए वह प्रशस्ति लेख कहलाता है।
6. मुद्रा अभिलेख :
- किसी राजा के समय प्रचलित मुद्रा के ऊपर उत्किर्ण लेख को मुद्रा भी लेख कहा गया है
2. साहित्यिक साक्ष्य :
- साहित्यिक साक्ष्य को दो भागों में बांटा जा सकता है।
- धार्मिक साहित्यिक स्रोत
- धर्मेत्रर साहित्यिक स्रोत
1. धार्मिक साहित्यिक स्रोत :
- ऐसे साहित्यिक स्रोत जिससे धर्म के बारे में पता चलता है धार्मिक साहित्यिक स्रोत कहलाता है। जैसे महाभारत, रामायण, बाइबल, कुरान आदि ।
2. धर्मेत्रर साहित्यिक स्रोत
- ऐसे साहित्य जिसमें धर्म से परे इतिहास के बारे में जानकारी मिलती हो इस प्रकार के साक्ष्य को धर्मेत्रर साहित्यिक स्रोत कहते हैं।
- जैसे : राज तरंगिणी
3. विदेशी विवरण :
- इतिहास में जो भी विदेशों से भारत में आए और भारत में जो भी उन लोगों ने देखा यहां के संस्कृत के बारे में, यहां के लोगों के बारे में, यहां के राजाओं के बारे में उन सभी चीजों को लिखा इस प्रकार के लेख विदेशी विवरण कहलाए।
- जैसे : फाहियान ने फो-को-की नाम के पुस्तक लिखा जिसमें चंद्रगुप्त द्वितीय के समय के घटनाओं का वर्णन है।
- हेनसांग : हेनसांग द्वारा लिखित पुस्तक सी-यू-की से वर्धन वंश के बारे में जानकारी मिलती है।
- मेगास्थनीज : मेगास्थनीज द्वारा लिखा गया पुस्तक इंडिका है जिसमें मौर्य वंश से संबंधित घटनाओं का और मौर्यकालीन समाज का वर्णन मिलता है।
प्रागैतिहासिक काल
- 1842 में कर्नाटक के रायचूर जिले के लिंग शुगर नामक स्थान पर पत्थर के बने हुए औजार मिले जैसे फलक, छूरा, तीर इस समय इतिहास में मनुष्य पत्थरों का प्रयोग करना सीख गया था अतः इतिहासकारों ने इतिहास के इस समय को पाषाण कालीन इतिहास नाम से संबोधन किया।
- औजारों की बनावट के आधार पर पाषाण काल का भी तीन भागों में विभाजन किया गया।
- पुरापाषाण काल (Paleolithic age)
- मध्य पाषाण काल (Mesolithic age)
- नवपाषाण काल (New Stone Age)
पुरापाषाण काल (Paleolithic age)
- आदिमानव की उत्पत्ति पुरापाषाण काल में ही माना जाता है।
- इस काल में मानव यायावर स्थिति में था।
- इस काल में मानव का जीवन शिकार पर आधारित था।
- शिकार करने के लिए मानव को औजार की जरूरत पड़ेगी इसलिए इस कॉल में मानव ने औजारों को बनाना शुरू किया।
- आदिमानव द्वारा प्रयोग किया गया प्रथम औजार हस्तकुठार था जिसके साक्ष्य सर्वप्रथम कर्नाटक के पल्लवरम नामक स्थान से 1863 में रॉबर्ट ब्रसफुट द्वारा खोजा गया।
- इस काल के प्रारंभिक मानव समूह में निवास नहीं करता था।
- इस काल के मानव आग से परिचित हुआ परंतु आग के प्रयोग से अनजान था।
- होमोइरेक्ट्स पहला आदिमानव था जो आग से परिचित हुआ।
- पृथ्वी पर पहला आदिमानव रामापीथिकस कहलाया भारत में रामापीथिकस का साक्ष्य शिवालिक हिमालय से मिले हैं। आत: रामापीथिकस आदिमानव को देव मानव की संज्ञा दिया गया। 1924 में रिचर्ड लाइव्स द्वारा रामापीथिकस मानव की खोज किया गया।
मध्य पाषाण काल (Mesolithic age)
- इस काल में मानव ने समूह में रहना प्रारंभ किया।
- इस काल के मानव ने पशु पालन प्रारंभ किया जिसमें मानव द्वारा कुत्ता को सर्वप्रथम पालतू बनाया गया।
- इस काल के दौरान बने औजारों का आकार छोटा हो गया जो 1 से 5 इंच तक का था जिसको सुक्ष्म पाषाण (micro stone) कहा गया।
- मध्य पाषाण काल को प्रागैतिहासिक काल का संक्रमण कालीन चरण कहा जाता है।
नवपाषाण काल (New Stone Age)
- नवपाषाण काल में मनुष्य ने आग का पूर्णरूपेण आविष्कार और प्रयोग करना सीख गया आग का प्रयोग भोजन पकाने जंगल साफ करने आदि कामों में करने लगा।
- इस काल में मानव में अस्थाई रूप से बसने की प्रवृत्ति उत्पन्न हुई।
- किस काल में मानव ने कृषि करना प्रारंभ किया।
- इस काल में पहिए का आविष्कार हुआ।
- इस काल में मृदभांड का निर्माण करना मानव द्वारा प्रारंभ किया गया।
- आदिमानव इस काल के दौरान खाद्य संग्राहक बन गया अर्थात इस काल में मानव खाद्य सामग्री का संग्रह करने लगा।
- मानव द्वारा प्रथम धातु के रूप में तांबे का प्रयोग किया गया।
- मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 40 किलोमीटर दूर भीमबेटका की गुफाओं का खोज विष्णु श्रीधर वाकणकर के द्वारा किया गया जहां शैल चित्र कला के प्राचीनतम साक्ष्य मिलते हैं।
- जम्मू कश्मीर मैं नवपाषाण कालीन स्थल बुर्ज होम में गर्तावास के साक्ष्य मिले हैं जहां मानव के साथ कुत्ते को दफनाया गया था।
- धान की खेती के प्राचीनतम साक्ष्य कोल्डीहवा उत्तर प्रदेश से प्राप्त हुआ है।
- चावल के प्रथम साक्ष्य गुजरात में भोगवा नदी के किनारे लोथल से प्राप्त हुए हैं। जबकि जले हुए चावल के साक्ष्य कालीबंगा राजस्थान से मिला है।
- प्राचीनतम कृषक बस्ती (किसानों की बस्ती) के साक्ष्य मेहरगढ़ से प्राप्त हुआ है।
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